Special Report: कोरोना जैसी मुश्किल घड़ी में पूरे भारत के लिए 'केरल' उम्मीद की किरण

Special Report: कोरोना जैसी मुश्किल घड़ी में पूरे भारत के लिए 'केरल' उम्मीद की किरण

नरजिस हुसैन

भारत में कोरोना वायरस महामारी की वैक्सीन या दवाई फिलहाल नहीं है। ऐसा लगता है कि जैसे एचआईवी/एड्स को रोकने में भारत को कुछ वक्त लगा था उसी तरह कोरोना में भी हो। वजह दोनों ही मामलों में लोगों में समाज से बहिष्कार होने के डर के चलते पॉजिटिव केस जल्दी सामने नहीं आए जिससे कई और लोग भी लगातार पॉजिटिव होने का खतरा बना रहा। हालांकि, इस बीच अलग-अलग देशों के डॉक्टरों और वैज्ञानिकों ने कोरोना के इलाज का दावा तो किया लेकिन, अब तक कोई बड़ी कामयाबी किसी के भी हाथ नहीं लगी। अब ऐसा लग रहा है कि कोरोना की वैक्सीन या दवाई कुछ सालों बाद ही ईजाद हो पाएगी। भारत की बात करें तो यहा घरेलु नुस्खे इन दिनों खूब चर्चा में हैं यही नहीं गो मूत्र और गोबर तक खाने को इलाज बताया जा रहा है। यानी कोरोना को लेकर इस वक्त हर तरफ अफरा-तफरी का माहौल है।

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भारत में कोरोना वायरस का ताजा आंकड़ा फरवरी में एक मरीज से बढ़कर 147 पहुंच गया हैं जिसमें मरने वालों की संख्या तीन है। देश भर में सरकार ने सभी गैर जरूरी कामों को छोड़कर घरों में रहने के निर्देश जारी किए हैं स्कूल, कॉलेज, सिनेमा घर, छोटी मार्केट, मॉल सहित सभी प्रोफेशनल मीटिंग और बैठकें, मस्जिद सब से काफी हद तक लोगों ने खुद को दूर कर लिया है। बावजूद इसके कि देश में वायरस का फैलाव रुकता ये अलग-अलग वजहों से हर दिन बढ़ता ही जा रहा है।

ऐसे मुश्किल वक्त में केरल से पूरे भारत की उम्मीद है इसलिए नहीं कि वहां की स्वास्थ्य मंत्री के. के. सैलेजा काफी सजग है बल्कि राज्य में स्वास्थ्य सुविधाओं का मौजूदगी, उनकी पहुंच ज्यादा से ज्यादा लोगों तक है। अपनी मार्डन शिक्षा जिसमें वैज्ञानिक और तार्किक दोनों ही शामिल है उससे भी स्वास्थ्य के क्षेत्र में नई उपलब्धियां देखने को मिलती रही है। मई, 2018 में भी सैलेजा ने निपाह वायरस से राज्य में बहुत लोगों की जान बचाई थी। और इस बार भी केरल में कोरोना वायरस का पहला मरीज 30 जनवरी, 2020 को पाया गया इसके बाद से अब तक 18 मार्च तक राज्य में 27 मरीजों तक यह आंकड़ा पहुंचा है जिसमें मरने वाला एक भी नहीं है।

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अपने विचारों और बातचीत में साफगोही बरतने वाली सैलेजा के पास आज वॉलैंटिर्यस की एक पूरी फौज है जिसमें स्टूडेंटस, नर्सें, ड्राइवर और समाज सेवक सब भारी तादा में राज्य के स्वास्थ्य विभाग के साथ काम करने को आगे आए हैं। अपने चार साल के काल में सैलेजा ने विभागीय जिम्मेदारी कुछ इस तरह से उठाई कि राज्य सरकार भी खुश और जनता तक भी ज्यादा-से-ज्यादा स्वास्थ्य सुविधओं की पहुंच। काम काज के घिसे पिटे सरकारी तरीको को पीछे छोड़ उनके काम का तरीका कुछ अलग है। वायरस की मौजूदगी की खबर लगते ही सबसे पहले उन्होंने खुद प्रभावित इलाकों का दौरा किया फिर एक्सपर्टस और डॉक्टरों का एक ग्रुप बनाकर इन्हें इस परेशानी से निपटने के लिए समय-समय पर सुझाव देने को कहा। उन्होंने अपनी टीम के साथ आइसोलेशन वार्डस का भी जायजा लिया और रोजाना सरकारी अपडेट की जगह कई अन्य मुद्दों पर भी उन्होंने अपनी तरह से जनता को अपडेट दिया। उनके इन अपडेट्स में से सचिवों, डीएमओ, समाज सेवी संस्थाओं और निदेशकों को कई अहम टिप्स भी मिल रहे हैं। उन्हें सोशल मीडिया पर टीचर अम्मा के नाम से भी जाना जाता है।

आज भी कांग्रेस और राज्य के अन्य विरोधी दलों की आलोचना का सामना कर रही सैलेजा और उनकी टीम ने सक्षमता, जवाबदेही और पारदर्शिता पर कायम रखा है। फिलहाल कोरोना वायरस ने न सिर्फ केरल न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया के विकसित देशों की स्वास्थ्य सुविधाओं को भी बड़ी चुनौती दी है। सैलेजा ने अपनी टीम को एक फ्लो चार्ट बनाने में भी लगाया जिसमें हर संभावित पॉजिटिव मरीज के सामाजिक जगहों पर जाने का रूट और मिलने वाले हर संभावित इंसान की शिनाख्त कर उनका फोन नंबर ढूंढ़ा जाने का काम है जिससे एक मैप बनाकर वायरस को वहीं तक रोका जा सके। तो ये उन कुछ खास तरीकों में से एक है जिनके तहत फिलहाल केरल काम कर रहा है। लेकिन ये वाकई तारीफ की बात है कि केरल के कहीं बाद महाराष्ट्र पहुंचा वायरस आज देश में सबसे ज्यादा पॉजिटिव मामले लिए बैठा है। और केरल में सबसे पहले आने के बाद भी कम-से-कम मरा कोई नहीं।

हालांकि, पिछले कुछ दिनों में केरल ने भारी तादाद में संभावित मरीजों को अस्पतालों में रखने के बजाए उन्हें घर में ही क्वारेंटाइन में रहने का सुझाव दिया है। ज्यादा ध्यान गंभीर मामलों पर है। इस वक्त वहां 10,944 लोग ऑबजरवेशन में हैं जिसमें 10,655 को घरों में ही ऑबजरव किया जा रहा है। जो लोग घरों में हैं उनका रोजाना ध्यान जिला और समुदाय स्वास्थ्य केन्द्र रख रहे हैं। उनकी चेकिंग समेत उनकी हर तरह की जरूरतों का भी पूरा ख्याल रखा जा रहा है। ग्राम पंचायतें उनहें खाना दे रही है।

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ब्रेक द चेन नाम से शुरू किया गए राज्य भर में कैंपेन में सरकार से सभी लोगों को एक-दूसरे से दूरी बनाए रखने को कहा है। सबसे अच्छी बात केरल सरकार ने जो कि वह थी मास्क और हैंड सैनेटाइजर की सप्लाई बनाए रखना ताकि ज्याद-से-ज्यादा लोगों तक इस मुसीबत के वक्त यह मदद पहुंच सके। तो वहीं राज्य सरकार ने जेल के कैदियों को इस काम पर लगाया। जेल विभाग से तालमेल बनाकर सरकार ने तीन बड़े केन्द्रीय काराधानों में सिलाई मशीन देकर मास्क की कमी को राज्य में पूरा किया। इसके अलावा केरल स्टेट ड्रग एंड फार्मास्यूटिक्ल ने इन्हें 10 दिन में एक लाख बोतल हैंड सैनिटाइजर बनाने के आदेश जारी किए हैं। फिर अलापुज्जा लैब और अन्य अस्पतालों के अलावा कोझीकोट, त्रिशूर और त्रिवेन्द्रम के मेडिकल कॉलेजों में संभावितों के टेस्ट चेकिंग का काम भी शुरू किया है। सरकार का मानना है कि जैसे ही नए-नए जांच सेंटर बनेंगे वैसे ही शिनाख्त में तेजी आएगी। केरल ने कोरोना महामारी के समय जो यह मॉडल खड़ा किया है अच्छा होता अगर राजनीति को किनारे कर सभी राज्य सरकारें इनको अपने राज्यों में अमल में लाएं।

 

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